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भारतीय इतिहास को राष्ट्रीय दृष्टिकोण से

पुनः लिखने और प्रचारित करने

के उद्देश्य से कार्यरत ।

हमारी कहानी

इतिहास और विरासत से जुड़ाव के माध्यम

यहाँ आप भारतीय और असमिया इतिहास को समझने, सीखने और उससे जुड़ने के विविध माध्यमों—जैसे कार्यशालाएँ, प्रकाशन, सामुदायिक सहभागिता और ऐतिहासिक संदर्भों—का अनुभव कर सकते हैं।

व्यापक ऐतिहासिक जानकारी

असम और भारत के इतिहास को सांस्कृतिक दृष्टिकोण से जानें, जिसमें प्राचीन ग्रंथों और स्थानीय किंवदंतियों का समावेश है।

शैक्षिक कार्यशालाएँ और सेमिनार

भारतीय इतिहास पर आधारित सेमिनार और कार्यशालाओं में भाग लें और विशेषज्ञों से सीखें।

पुस्तक प्रकाशन और संसाधन

ऐतिहासिक घटनाओं और नायकों पर आधारित पुस्तकों और अन्य संसाधनों का संग्रह।

सक्रिय सामुदायिक सहभागिता

हमारे सामुदायिक गतिविधियों और सोशल मीडिया चैनलों के माध्यम से जुड़ें और असम के इतिहास में योगदान दें।

असम में ऐतिहासिक दृष्टिकोण का पुनर्निर्माण

भारतीय इतिहास संकलन समिति, असम

भारतीय इतिहास संकलन समिति, असम (Bharatiya Itihas Sankalan Samiti, Assam) अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना (Akhil Bharatiya Itihas Sankalan Yojana, ABISY) की राज्य इकाई है, जो भारतीय इतिहास को राष्ट्रीय दृष्टिकोण से पुनः लिखने और प्रचारित करने के उद्देश्य से कार्यरत है।

संगठन का उद्देश्य और दृष्टिकोण

यह समिति भारतीय इतिहास को एकीकृत और गौरवमयी दृष्टिकोण से प्रस्तुत करने का प्रयास करती है, जिसमें प्राचीन संस्कृत ग्रंथों, पुराणों और स्थानीय किंवदंतियों का उपयोग किया जाता है। समिति का मानना है कि भारतीय इतिहास को पश्चिमी और औपनिवेशिक दृष्टिकोण से पुनः लिखने की आवश्यकता है, ताकि भारतीय संस्कृति और परंपराओं का सही चित्र प्रस्तुत किया जा सके।

( संस्थापक)

श्रद्धेय बाबा साहब आपटे

अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना आपटे भवन, केशव कुंज, झण्डेवाला, नई दिल्ली-110055

सूचना

आगामी कार्यक्रम

प्रथम परिपत्र 13वाँ त्रिवार्षिक राष्ट्रीय अधिवेशन 2025

सूचना

प्रथम परिपत्र 13वाँ त्रिवार्षिक राष्ट्रीय अधिवेशन 2025

प्रांतीय सूचना

प्रथम परिपत्र 13वाँ त्रिवार्षिक राष्ट्रीय अधिवेशन 2025

ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित शोधपरक कृतियाँ

प्रकाशन

चौरी-चौरा: जब स्थानीयता ने रचा इतिहास

यह पुस्तक चौरी-चौरा की उस ऐतिहासिक घटना को उजागर करती है, जिसने राष्ट्रव्यापी असहयोग आंदोलन की दिशा ही बदल दी। लेखक ने स्थानीय समाज, कारणों और प्रतिक्रियाओं की गहराई से पड़ताल करते हुए इसे एक क्रांतिकारी मोड़ के रूप में प्रस्तुत किया है।

चौरी-चौरा: जनआंदोलन और विद्रोह की कहानी

हिमांशु चतुर्वेदी द्वारा लिखित यह पुस्तक चौरी-चौरा की घटना को केवल एक हिंसक विरोध नहीं, बल्कि भारतीय जनमानस के भीतर उबलते असंतोष और स्वतंत्रता की आकांक्षा के रूप में देखती है। यह एक स्थानीय घटना को राष्ट्रीय विमर्श में लाने का महत्वपूर्ण प्रयास है।

चौरी-चौरा: इतिहास की अनसुनी आवाज़

यह कृति इतिहास के उस अध्याय को सामने लाती है, जिसे अक्सर उपेक्षित किया गया है। चौरी-चौरा की घटना को स्थानीय संदर्भ में समझते हुए लेखक ने दिखाया है कि कैसे यह घटना महात्मा गांधी के आंदोलन को प्रभावित करने वाला एक निर्णायक क्षण बन गई।

चित्र दीर्घा

11वां सम्मेलन, गुवाहाटी

ऐतिज्य अन्वेषण

गुवाहाटी राज्य सम्मेलन, 2017

अन्य

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